24 कुछ मनइन के पाप परमातिमा के न्याय करँइ से पहिलेन कुछ लोगन काहीं मालुम होइ जात हें, कि ऊँ पापी हें, पय कुछ मनई आपन पाप छिपाइके रक्खत हें, अउर न्याय के दिन तक कोहू काहीं मालुम परे नहीं पाबय।
पय तूँ पंचे कहि सकते हया, “जब हमरे लबरी बोलँइ के कारन परमातिमा के सच्चाई अउर जादा प्रगट होत ही, अउर एसे उनखर बड़ाइन होत ही, त पुनि हम काहे पापी कि नाईं सजा पामँइ के काबिल ठहराए जइत हएन?
पुनि हम स्वरग से इआ बोल सुनेन, “लिखा, जउन मनई प्रभू के ऊपर बिसुआस कइके मरत हें, ऊँ पंचे अब से धन्य हें।” अउर पबित्र आत्मा कहत हें, “हाँ, अब से ऊँ पंचे अपने सगले मेहनत से अराम पइहँय, काहेकि उनखर काम उनखे साथ होइ लेत हें।”