एसे हम पंचे आपस माहीं एक दुसरे के ऊपर दोस लगाउब छोंड़ि देई, अउर इआ ठान लेई, कि अपने बिसुआसी भाई-बहिनिन के गइल माहीं कउनव अरचन ठाढ़ न करब, अउर न ओही पाप करँइ के खातिर उकसउबय करब।
एसे हम चाहित हएन, कि हरेक मसीही मन्डलिन माहीं मंसेरुआ बिना गुस्सा, अउर झगड़ा किहे, खुद काहीं पबित्र रखिके अपने हाँथन काहीं ऊपर उठाइके परमातिमा से प्राथना करँय।
पय जमान बिधबन के नाम मसीही मन्डली के मदत सूची माहीं न लिख्या, काहेकि जब ऊँ मसीह के बचन काहीं मानब छोंड़िके, भोग-बिलास माहीं परि जाती हँय, त ऊँ बिआह करँय चहती हईं।
अउर नीक-नागा पहिचानँय, अउर पतिब्रता, एखे साथय-साथ घर-दुआर के जबाबदारी, अउर आपन करतब्य निकहा से निभामँइ बाली बनँय, अउर अपने मंसेरुअन के कहा-बतान मानँइ बाली बनँय, जउने परमातिमा के बचन के बुराई न होंइ पाबय।
अउर काज-बिआह सबके बीच माहीं मान-सम्मान के बात समझी जाय, अउर उनखर बिछउना निस्कलंक होंइ चाही, अरथात जिनखर बिआह होत हय, उनहीं पबित्र होंइ चाही, काहेकि परमातिमा ब्यभिचारिन, अउर दुसरे के मेहेरिआ के साथ नजायज सम्बन्ध बनामँइ बालेन के न्याय करिहँय।