अउर देंह के जउने अंगन काहीं हम पंचे जादा आदर के काबिल नहीं समझी, अरथात जिनहीं देखामँइ माहीं लाज लागत ही, उनहिन के आदर हम पंचे जादा करित हएन, अरथात उनहीं ओन्हन से मूदिके रक्खित हएन।
इहइमेर सगली मेहेरिआ घलाय, सकुच के साथ खुद पर नियन्त्रन रखिके, उचित ओन्हन से खुद काहीं सजामँय, इआ नहीं कि बार गुहँय, अउर सोन-चाँदी, अउर मोतिन, अउर महग ओन्हन से, बलकिन निकहे-निकहे कामन से सजामँय,
परमातिमा अपने दया के व्दारा चेतउनी दइके, इआ सिखाबत हें, कि हम पंचे जउन परमातिमा के भक्ती नहीं करी, ओही, अउर संसार के बुरे लोभ लालच काहीं छोंड़ि देई, अउर इआ संसार माहीं अपने ऊपर काबू रखिके, धारमिक अउर परमातिमा के भक्ती माहीं जीबन बिताई;