अउर तूँ पंचे इआ संसार के बुरे मनइन कि नाईं न बना; काहेकि परमातिमा तोंहरे मन काहीं नबा कइ दिहिन हीं, एसे तोंहार पंचन के चाल-चलन बदलत जाँइ चाही, जउने तूँ पंचे अपने अनुभव से इआ जान लेबा करा, कि परमातिमा तोंहरे जीबन से का चाहत हें, अउर उनहीं का नीक लागत हय, अउर उनखर पूरी इच्छा का ही।
त का मूसा के बिधान परमातिमा के वादा के बिरोध माहीं हय? बेलकुल नहीं? काहेकि अगर अइसन मूसा के बिधान दीन जात जउन जीबन दइ सकत, त सचमुच मूसा के बिधान के पालन करे से मनई परमातिमा के नजर माहीं निरदोस होइ जातें।