हे भाई-बहिनिव, जब हम पंचे कुछ दिनन के खातिर, मन से त नहीं, पय देंह के रूप माहीं तोंहसे पंचन से अलग होइ गएन तय, त हम पंचे, तोंहईं देखँइ के खातिर खुब उपाय किहेन, काहेकि तोंहसे मिलँइ के हमार पंचन के बड़ी इच्छा रही ही।
इआ कारन से जब हमसे अउर न रहा ग, त तोंहरे बिसुआस के हाल चाल जानँइ के खातिर तीमुथियुस काहीं पठएन, कि कहँव अइसा न होय, कि परिच्छा करँइ बाला सइतान तोंहार परिच्छा किहिस होय, अउर हमार पंचन के सगली मेहनत पानी माहीं चली गे होय।