एसे अँगुआ काहीं अइसा जीबन जिअँइ चाही, कि ओही कोऊ बुरा न कहे पाबय, अउर ओखे केबल एकयठे मेहेरिआ होय, अउर उआ खुद काहीं काबू माही रक्खँइ बाला होय, अउर सगले मनइन के साथ निकहा बेउहार करँइ बाला होय, अउर सभ्य, अउर महिमानन के स्वागत-सत्कार करँइ बाला होय, अउर उआ सिच्छा देंइ माही निपुन होय।