पय जब ऊँ पंचे उनखर बिरोध अउर बुराई करँइ लागें, त पवलुस आपन ओन्हा फारिके उनसे कहिन; “जउन तूँ पंचे इआ कइ रहे हया, ओखर सजा तुहिन पंचे पइहा, हम निरदोस हएन, अब से हम गैरयहूदी लोगन के लघे जाब।”
अउर तूँ पंचे अपने सोच-बिचार काहीं सुद्ध रख्या, एसे कि जउने बातन के बारे माहीं तोंहार बदनामी होत ही। ओखे बारे माहीं, जउन तोंहरे मसीही चाल-चलन के अपमान करत हें, ऊँ लज्जित होइ जाँय।