18 तुमरी आँखी होत भै तुम नाय देख पाथौ? और तुमरे कान होत भै भी नाय सुन पाथौ? तुमकै यादौ नाय है
18 का तुमर आँखी अन्धरा हएं? का तुमर कान बन्द हुइगए हएं? का तुम भुलीगए हओ?
तभईये तौ, “उनकै सुजात तौ है लेकिन उनकै सुजाई ना देथै; बे सुनत तौ हैं, लेकिन कछुए समक ना पाथैं। ऐसो ना होबै, कि बे फिरैं और माफी पाए जामैं।”
“बौ उनकी आँखी अंधरी, और उनको मन कर्रो कर दई है; कहीं ऐसो ना होबै कि बे आँखिन से देखैं, और मन से समझैं, और घूँमैं-फिरैं, और मैं उनकै अच्छो करौं।”
जैसे कि सास्त्र मैं लिखो है, “परमेस्वर उनके मन और दिलन कै मंद बनाये दई; जौ दिन बे देख और सुन नाय सकथैं।”
का तुमकै याद नाय है? मैं तुमरे संग रहौं तौ जौ सब बताओ।
और इसलै मैं तुमकै हमेसा जे मामलेन की याद दिबांगो, भलेई तुम उन्हैं पहले से ही जानत होबौ और तुमरे जरिये मिली भइ सच्चाई के ऊपर मजबूती से स्थिर होमैं।