जो बीज कटीली झाड़िन मैं गिरे रहैं, बाको मतलब जौ है बौ आदमी जो सुभ संदेस सुनथै तौ युग की चिंताए और धन को लोभ सुभ संदेस कै दबाय देथै, और बौ आदमी फल न लाय पाथै।
और बौ बे सबन से कहत गौ, “देखौ और हर तरहन के लालच से खुद के बचाबौ; काहैकि तुमरी सच्ची जिंदगी बे चीजन से ना बनथै, जो तुमरी खुद कि हैं, चाहे तुम कितने सेठ क्यों ना होबौ।”
“तुम चहाचीते रहबौ! अपने आपकै भौत जाधा दावत और पीन के सामान संग और जौ दुनिया की बात कै मन मैं चिंता के संग कब्जा मत करन दियौ, या बौ दिन अनकाचीति तुमकै पकड़ लेबै।
जो बीज कांटे की झाड़ी मैं गिरो, जे बे हैं, जो सुनथैं, पर अग्गु चलकै चिंता और जायदाद और रोज मर्रा की जिंदगी के सुख-दुख मैं फस जाथैं, और उनको फल कहु नाय पकथै।