काहैकि उनको मन सुस्त है, और बे अपने कान कै बंद कर लईं हैं, और अपनी आँखी मूंद लईं हैं। ना तौ उनकी आँखी देखती, उनके कान सुनते, उनकी बुद्धि समझती, और बे मेरी तरफ फिरंगे, परमेस्वर जहे कहथै, और मैं उनकै चंगो करंगो।’”
“तुम कित्ते जिद्दी हौ!” कहनै मैं स्तिफनुस चले गौ। “तुम अपने मन कै कित्तो पवित्र करथौ, तुम परमेस्वर के संदेस मैं कित्ते ध्यान देनबारे हौ! तुम अपने पुरखन के हानी हौ: तुम हमेसा पवित्र आत्मा को बिरोध करे हौ!