फेस्तुस कही, “राजा अग्रिप्पा, और सब आदमी जो हिंयाँ हमरे संग हौ: तुम जौ आदमी कै देखथौ, जोके खिलाप पूरे यहूदि लोग, यरूसलेम मैं और हींनौं चिल्लाए-चिल्लाए कै मेरे झोने सिकायत लाई हैं। कि जाको जिंदो रहनो ठीक नाय है।
तीन दिन के बाद बौ हुँआँ के रहेन बारे यहूदिन के नेतन कै एक बैठक मैं बुलाई। जब बे जुराए, तौ उनसे कही, “मेरे संग के इस्राएलियो, भले मैं अपने लोगन कै या बड़े-बूढ़ेन के रीति-रिवाज के खिलाप मैं कुछ भी नाय करो, मोकै यरूसलेम मैं कैदी बनाए दौ गौ और रोमियों के हात सौंप दौ गौ।
हिंयाँ ले कि बे हमैं गैर यहूदि कै उपदेस देन से रोकन की कोसिस करीं, जोसे उनकै उद्धार मिलतो। ऐसे करकै बे अपने पापन को घल्ला भर्रै हैं, जो बे हमेसा करथैं। और अब परमेस्वर को गुस्सा उनके ऊपर आए चुको है!