11 यिहेसैर्हे उखर्ह्वाइ झुठ् कहिनै बिस्वास करुस् बाजिहिन् परमेस्वरे उखर्ह्वाक्ठालाइ झुक्यालाहार सक्ति पाठाइस्।
किसाबुने हामि सिखाल सिच्छाइ झुठ् कहिन्, नराम्रो बिचार अथबा कुन्हुँ छलकपट नहिं रैल्हकुन्।
पबित्र आत्माइ हाम्रालाइ बुझ्न्या करिहिने यन्हिं बोल्लो धरैस्, पाछु आइलाहार समइमा कुन्हुँ मानुसलक् छल कर्लाहार आत्मा आउँ भुतपेरेतलकक् सिच्छाक्पटि मन लागाहिन् बिस्वासक्भटे हटिहिन् जाट्थ्ला।
आउँ उखर्ह्वाइ ता सत्यक् कहिनलाइ इन्कार करथ्ला, तर दन्त्यकाथाहा सुन्बाक्लाइ मन पोराथ्ला।