15 मेरे सब सातिऔं को, तेकै नमस्कार। जो बिसवास के कारन हम सै पियार रक्खैं हैं, उनकै बी नमस्कार। तुम सबके ऊपर किरपा होती रैह।
परमेसर की किरपा तुम सबई के संग रैह। ऐंसोई होए।
मेरे हुकम को मकसद पियार है जो सच्चे दिल सै और सुद्द मन सै और बा बिना खोट के बिसवास सै तुम्मै पैदा होए।
मैं पौलुस, खुद अपने हात सै तुमकै जौ नमस्कार लिख रओ हौं। जौ बात याद रखिओ कै मैं जेल मै हौं और तुमरे ऊपर परमेसर की किरपा होती रैह।
पर मसी ईसु के संग रिस्ता रखनै के ताँई खतना होनो या खतना ना होनो दौनौ की कुछ ऐहमियत ना है, ऐहमियत सिरप बिसवास की है, जो पियार के दुआरा काम करै है।
मैं बुजरग, जौ चिट्ठी पियारे गयुस के नाम लिख रओ हौं, जिस्सै मैं सच्चो पियार करौ हौं।
मैं तुमरो पियार और बिसवास जो परभु ईसु मै और पबित्तर लोगौ मै है उसके बारे मै सुनतो रैहबौ हौं।
परभु तेरी आत्मा के संग रैहए, और तुमरे ऊपर परमेसर की किरपा होती रैह।
परभु ईसु की ओर सै तुमकै किरपा मिलै।
और अगर तुम अपने भईयौ कैई नमस्कार करौ हौ, तौ कौन सो बड़ो काम करौ हौ? का परमेसर कै ना माननै बारे बी ऐंसोई ना करैं हैं?
तुम खुद बी जौ जानौ हौ कै मैंनै अपने हात सै अपनी और अपने सातिऔं की जरूरतौं कै पूरो करो।