कैसेकै जो कोई अपने सरीर के ताँई बोबै है, बौ अपने सरीर सै नास की फसल काटैगो। पर जो आत्मा के ताँई बोबै है, बौ आत्मा सै हमेसा की जिन्दगी की फसल काटैगो।
कैसेकै जब हम परमेसर के दुसमन हे, तौ उसनै अपने लौंड़ा की मौत के दुआरा हमरो मेल अपने संग कराओ है, और अब मेल हो चुको है तौ हम मसी जिन्दगी दुआरा मुक्ति काए ना पांगे?