कैसेकै सरीर की इच्छा आत्मा के बिरोद मै है, और आत्मा की इच्छा सरीर के बिरोद मै है। जे दौनौ आपस मै बिरोदी हैं। इसताँई कै जो तुम कन्नो चाँहौ हौ, बाकै ना कर पावौ हौ।
मैंनै तुमकै जौ उदाहरन इसताँई दओ कैसेकै जौ बात समजनी तुमरे ताँई मुसकल है। जैसे तुमनै बुराई के ताँई अपने सरीर के अंगौ कै असुद्द और गलत कामौ को दास बनाओ, बैसेई अब तुम पबित्तर होनै के ताँई अपने सरीर के अंगौ कै धारमिकता को दास बनाओ।
पियारे भईयौ, तुम परदेसी और यातरी हौ इसताँई मैं तुमसै बिनती करौ हौं कै तुम अपने सरीर की बुरी इच्छा सै बचे रौह जो आत्मा के बिरोद मै लड़ाई के ताँई उठै हैं।
तुम अपने सरीर के अंगौ कै अधरम के औजारौं जैसे पाप के हवाले मत करौ, बलकन मरे भएऔं मै सै जी उठनै बारौं के जैसे परमेसर के हवाले कर दो। और अपने सरीर के अंगौ कै धरम के औजारौं के रूप मै परमेसर के हवाले कर दो।