“मैं तुमसै सच-सच कैरओ हौं, जो मेरे बचन सुनकै मेरे भेजनै बारे मै बिसवास करै है, हमेसा की जिन्दगी बाकी है, और बाके ऊपर सजा को हुकम ना है, पर मौत सै पार होकै बौ जिन्दगी मै पौंच चुको है।
मसी को खून भौत कुछ कर सकै है, मसी तौ हमेसा की आत्मा के दुआरा हमरे परमेसर के सामने निरदोस चढ़ाबो करकै खुद कै चढ़ाओ, तब तौ बाको खून जरूर मौत की ओर लेजानै बारे कामौ सै हमरे मन कै सुद्द करैगो, जिस्सै हम जिन्दे परमेसर की सेवा करैं।
पर अगर जैसे बौ खुद जोती मै है, बैसेई हम बी जोती मै चलैं, तौ एक दूसरे के संग हमरो अच्छो मेल-जोल होगो और परमेसर को लौंड़ा ईसु को खून हमकै सबई पापौं सै सुद्द कर देवै है।
कैसेकै जब हम परमेसर के दुसमन हे, तौ उसनै अपने लौंड़ा की मौत के दुआरा हमरो मेल अपने संग कराओ है, और अब मेल हो चुको है तौ हम मसी जिन्दगी दुआरा मुक्ति काए ना पांगे?
एक बखत हो जब हम बी अपने सरीर की गलत इच्छाऔं के हिसाब सै दिन काटै हे, और सरीर और मन की मरजी कै पूरी कन्नै मै लगे रैहबै हे, और सबई लोगौ के हाँई सौभाब सैई हम बी परमेसर के घुस्सा के लायक हे।