12 सब भटक गए हैं, सबके सब निकम्मे बन गए हैं, कोई भलाई कन्नै बारो ना है, एक बी ना।”
कैसेकै तुम लोग पैले भेड़ौ के हाँई भटक गए हे, मगर अब तुम अच्छे गड़रिया और आत्माऔ की रखबारी कन्नै बारे के धौंरे बापस लौहट आए हौ।
एक टैम हो जब बौ तेरे किसी काम को ना हो, पर अब तेरे और मेरे दौनौ के बड़े काम को है।
एक बखत हो जब हम बी अपने सरीर की गलत इच्छाऔं के हिसाब सै दिन काटै हे, और सरीर और मन की मरजी कै पूरी कन्नै मै लगे रैहबै हे, और सबई लोगौ के हाँई सौभाब सैई हम बी परमेसर के घुस्सा के लायक हे।
और इस निकम्मे नौकर कै, बाहार इन्धेरे मै फैंक दो, जहाँ लोग रोंगे और अपने दाँत पीसंगे।’
कोई बी समजदार ना है, कोई बी परमेसर कै ढूंड़नै बारो ना है।
“उनको मौह खुली भई कबर है, उनौनै अपनी जीबौं सै छल करो है, उनके ओठौं मै साँप को बिस है।