कैसेकै जो तुमरी दैनै की इच्छा है, तौ बौ बाई मै सै दे, जो कुछ बाके धौंरे है, ऐंसोई दान परमेसर कै अच्छो लगै है। पर ना कै बौ बाके हिसाब सै देए, जो बाके धौंरे ना है।
और अच्छी खबर सुनानै बारो तब तक कैसे सुना सकै है जब तक कै उनकै भेजो ना जाऐ? जैसो पबित्तर सास्तर मै लिखो है, “अच्छी खबर सुनानै बारौं के पाँऐ कितने भारचे हैं?”