13 जब मैंनै फिर देखो, तौ आसमान के बीच मै उड़नै बारे एक उकाब कै जौ कैते सुनो कै, “उन तीन सुरगदूतौं की तुरही की अबाज के कारन सै, जिनको बजानो अबी बाकी है, धरती के रैहनै बारौ मै हाय, हाय, हाय।”
फिर मैंनै आसमान मै उड़ते भए एक और सुरगदूत कै देखो उसके धौंरे धरती मै रैहनै बारौं, देस, जाति, भासा और गोत के सब लोगौ कै सुनानै के ताँई उसके धौंरे कबी खतम ना होनै बारी एक अच्छी खबर ही।
इसके बाद मैंनै देखो कै एक सुरगदूत सूरज के ऊपर खड़ो है। उसनै आसमान मै उड़नै बारे सबई पंछिऔ सै ऊँची अबाज मै कैई, “आऔ, परमेसर की बड़ी दाबत के ताँई इखट्टे हो जाऔ।
बे आदमी सिंगासन के सामने और चारौ पिरानिऔ और बुजरगौं के सामने एक नओ गीत गा रए हे। जिन एक लाख चबालीस हजार आदमिऔ कै धरती मै सै मोल लेएओ गओ हो उनके अलाबा कोई दूसरो आदमी उस गीत कै ना सीक सकै हो।
तुम मेरे बचनौ मै पक्के बने रैहए हे, इसताँई मैं बी तुमकै इस मुसीबत की घड़ी मै बचाकै रखंगो, जो सिगरी दुनिया मै आनै बारी है और जो धरती मै रैहनै बारे हैं उनकै परखैगी।
इसताँई हे सुरग और उनमै रैहनै बारे खुसी मनाऔ। पर हे धरती और समन्दर, तुमरे ऊपर हाय! कैसेकै सैतान बड़ी घुस्सा के संग तुमरे धौंरे उतर आओ है, कैसेकै बौ जानै है कै, बाको थोड़ोई टैम और बाकी है।”