11 जो बुरो करते भए आ रए हैं बे बुरो करते रैंह, जो असुद्द बने भए हैं, बे असुद्दई बने रैंह। और जो धरमी हैं, बे धरमी बने रैंह, जो पबित्तर हैं बे पबित्तर बने रैंह।”
कैसेकै बौ अपने ताँई एक ऐंसी चमकदार बिसवासिऔ की मंडली बनाकै खड़ी कन्नी चाँहै हो जिसमै ना तौ कोई दाग, ना झुररी और ना कोई दोस हो, बलकन पबित्तर और निरदोस हो।
बौ रस्ता के किनार अंजीर को पेड़ देक्कै उसके धौंरे गओ, पर उसकै उसमै पत्तौ के सिबा कुछ ना मिलो। तब बानै पेड़ सै कैई, “तैमै फिर कबी फल ना लगैं!” और उसई बखत अंजीर को बौ पेड़ सूक गओ।
जिस्सै तुम अपने सुरग मै रैहनै बारे अब्बा की औलाद ठैरौगे कैसेकै बौ भले और बुरे दौनौ के ऊपर अपनो सूरज उगावै है, और धरमिऔं और अधरमिऔं दौनौ के ऊपर बरखा बरसावै है।