यहून्ना की ओर सै एसिया की उन सात बिसवासिऔ की मंडलिऔ के ताँई लिखौ हौं। उस परमेसर की ओर सै जो है और जो हो और जो आनै बारो है, और उन सात आत्माऔ की ओर सै जो बाके सिंगासन के सामने हैं; तुमकै किरपा और सान्ति मिलती रैह।
चारौ पिरानिऔ के छै छै पंख हैं, बे भीतर बाहार आँखौं सै भरे भए हैं और दिन रात लगातार जौ कैते रैहबैं हैं, “पबित्तर, पबित्तर, पबित्तर परभु परमेसर सरब सकतिमान है, जो हो और जो है और जो आनै बारो है।”
पर तू अपने बुरे कामौ सै मन ना फिरानै और अपने हटीले मन की बजै सै बाके कोप के दिन के ताँई जिसमै परमेसर को सच्चो नियाय परकट होगो, उस दिन के ताँई परमेसर को कोप कै इखट्टो कर रओ है।
इसताँई अगर हमरे बुरे काम परमेसर के अच्छे काम कै दिखामै हैं, तौ हम का करैं? मैं आदमी की सोच के हिसाब सै कैरओ हौं कै, का परमेसर को हमरे ऊपर घुस्सा कन्नो, गलत है?
कैसेकै उसको फैसला सच्चो और ठीक है, इसताँई कै उसनै उस बड़ी रन्डी कै जो अपने बैबिचार के कामौ सै धरती कै खराब कर रई ही, नियाय करो है, और उस्सै अपने दासौं के खून को बदलो लओ है।”
उनौनै जोर सै ऊँची अबाज मै चिल्लाकै कैई, “हे पबित्तर और सच्चो परभु, तू कब तक नियाय ना करैगो? और धरती के रैहनै बारौं सै हमरे खून को बदलो कब तक ना लेगो?”