13 तब अंगूर के बगीचा के मालिक नै कैई, ‘मैं का करौं? मैं अपने पियारे लौंड़ा कै भेजंगो, कै बे उसको आदर करैं।’
और जौ आकासवानी भई, “जौ मेरो पियारो लौंड़ा है, जिस्सै मैं भौत खुस हौं।”
पर जब सई बखत आओ, तौ परमेसर नै अपने लौंड़ा कै भेज दओ, जो एक बईयर सै नियम के आधीन होते भए जलमो।
कैसेकै जो काम सरीर की कमजोरी के कारन नियम ना कर सको, उसकै परमेसर नै करो, यानी अपनेई लौंड़ा कै उसनै पापी आदमी जैसे आदमी के सरीर मै भेजो, इस तरीका सै परमेसर नै आदमी के सरीर मै पाप कै सजा दई।
और मैंनै देखो और गभाई देई कै जौई परमेसर को लौंड़ा है।”
और उस बादर मै सै जौ अबाज आई, “जौ मेरो चुनो भओ लौंड़ा है, इसकी सुनौ।”
पतरस अबी बात करई रओ हो कै एक चमकते भए बादर नै आकै बे ढक लए और बादर सै आकासवानी भई, “जौ मेरो पियारो लौंड़ा है, जिस्सै मैं भौत खुस हौं। जाकी सुनौ!”
ईसु बोलो “किसी सैहर मै एक जज रैहए करै हो। बौ ना तौ परमेसर सै डरै हो और नाई किसी आदमी की परवा करै हो।
पर लम्बे टैम तक तौ बौ जज आनाकानी करतो रैहओ पर आखरी मै उसनै अपने मन मै सोचो, ‘ना तौ मैं परमेसर सै डरौ हौं और ना लोगौं की परवा करौं हौं।’
फिर उसनै तीसरो नौकर भेजो पर उनौनै बौ बी अदमरो करकै बाहार फैंक दओ।
ऐंसो सोचकै बानै अपनो लौंड़ा भेजो, पर किसानौ नै बाको लौंड़ा देखो तौ बे सब आपस मै सोचल लगे, कै जौ तौ बारिस आ रओ है; आऔ हम उसकै मार डारै, जिस्सै जाको बगीचा हमरो हो जाय।