इतने मै जब हजारौं की भीड़ लग गई, हिंया तक कै एक दूसरे के ऊपर गिर पड़ल लगे, तौ ईसु सबसै पैले अपने चेलौ सै कैललगो, “फरीसिऔं के कपटरूपी खमीर सै चौकस रैहईओ।
तौ अपने भईया सै तू कैसे कैह सकै है, ‘भईया, तू अपनी आँख को तिनका मैंकै लिकारन दे, जबकि तू अपने आँख के लट्ठा कै ना देख रओ है,’ अरे कपटी, पैले अपनी आँख को लट्ठा दूर कर, तब तेकै अपने भईया की आँख को तिनका बाहार लिकारनै के ताँई दिखाई दे सकैगो।
“अरे कपटी सास्तरिऔं और फरीसिऔं! तुम्मै धिक्कार है। तुम लोगौ के ताँई सुरग के राज को मौहड़ो बन्द कर देवौ हौ तुम खुद तौ ना जाबौ हौ पर जो जानो चाँहै है, उनकै रोक देवौ हौ।