जब घर के मालिक नै उठकै मौहड़ो बंद कर दओ है, और तुम बाहार खड़े होकै किबाड़ खटखटाकै कैललगौ, ‘हे परभु, हमरे ताँई किबाड़ खोल दे, और बौ जबाब दे, मैं तुमकै ना जानौ हौं, तुम कहाँ के हौ?
ईसु उनके संग चल दओ, पर जब ईसु सैनापति के घर सै जादा दूर ना हो, तौ सैनापति नै बाके धौंरे अपने दोस्तौ कै जौ कैनै के ताँई भेजो, “हे परभु, अपने आपकै कसट मत दे, कैसेकै मैं इस लायक ना हौं कै तू मेरे घर मै आय।
पर मैं तुमकै बता रओ हौं दोस्त होनै के नाते उठकै तुमकै कुछ बी ना दे, फिर बी तुम बेरमबेर माँगते भए बेसरम होकै माँगौगे तौ, बौ उठैगो और जो तुमरी जरूरत की चीज है बौ तुमकै दे देगो।