“इसताँई चौकस रैहऔ, कहीं ऐंसो ना होए कै तुमरो मन भोग-विलास, नसा और जा जिन्दगी की चिन्ताऔं के बोज सै दब जाय और बौ दिन फंदा के हाँई अचानक तुमरे ऊपर आ पड़ै।
“कटीली झाँड़िऔं मै गिरे भए बे लोग हैं, जो बचन सुनै हैं, पर अग्गे चलकै बे चिन्ता और धन और जिन्दगी के सुख विलास मै फसकै दब जावै हैं और पकनै के ताँई कोई अच्छे फल ना लाबैं हैं।
पर मारथा सेवा करते करते परेसान हो गई और बाके धौंरे आकै कैललगी, “हे परभु, का तेकै जौ ठीक लगै है कै मेरी बहन नै सेवा-पानी की सैरी जिम्मेदारी मेरे ऊपरई छोड़ दई है? बासै कैह, कै बौ मेरी मदत करै।”