41 “मैं आदमिऔ सै आदर ना चाँहौ हौं।
जो अपनी ओर सै बोलै है बौ अपनी बड़ाई चाँहबै है, पर जो अपने भेजनै बारे की बड़ाई चाँहबै है बौई सच्चो है, और बामै कोई खोट ना है।
हम ना तौ तुमरी, और ना लोगौ की, और ना दूसरौं की ओर सै अपनी बड़ाई चाँहै हे।
मैं अपनी इज्जत ना चाँहौ हौं, पर एक ऐंसो है जो मेरी इज्जत चाँहै है और बौ नियाय बी करै है।
पर मैं अपने बारे मै आदमी की गभाई ना चाँहबौ हौं, तौबी मैं जे बात इसताँई कैबौ हौं कै तुमकै मुक्ति मिलै।
ईसु नै जबाब दओ, “अगर मैं अपनी इज्जत करौं तौ बौ इज्जत मेरी कुछ बी ना है। जो मैंकै इज्जत देवै है बौ मेरो अब्बा है जिसके बारे मै तुम कैबौ हौ कै ‘बौ हमरो परमेसर है।’
ईसु समज गओ कै बे मैंकै राजा बनानै के ताँई पकड़कै ले जांगे, इसताँई ईसु इकलोई पहाड़ मै चले गओ।
तुम कैसे बिसवास कर सकौ हौ जबकि तुम एक दूसरे सै आदर पानो चाँहौ हौ, और बौ आदर जो एक मात्तर परमेसर की ओर सै आवै है पानो ना चाँहौ हौ?
जब बानै परम पिता परमेसर सै इज्जत और बड़ाई पाई तबई बाके ताँई बड़ी महिमा सै एक ऐंसी अबाज आई कै, “जौ मेरो पियारो लौंड़ा है जिस्सै मैं भौत खुस हौं।”
और तुम जाई के ताँई बुलाए गए हौ कैसेकै मसी नै बी तुमरे ताँई दुख उठाओ है और जौ तुमरे ताँई एक मिसाल है ताकि हम बी बाके हाँई चाल चल सकैं।
फिर बी तुम जिन्दगी पानै के ताँई, मेरे धौंरे आनो ना चाँहौ हौ।
पर मैं तुमकै जानौ हौं कै तुम्मै परमेसर को पियार ना है।
कैसेकै आदमिऔ के दुआरा देई गई इज्जत परमेसर के दुआरा देई गई इज्जत सै जादा पियारी लगै है।