उसको सूपो उसके हात मै है, और बौ अपनो खलियान अच्छी तरै सै साप करैगो, और अपने गैहूं कै फटक कै कुठिया मै इखट्टो करैगो, पर भुसा कै उस आग मै जरागो जो बुतनै की ना है।”
बौ रस्ता के किनार अंजीर को पेड़ देक्कै उसके धौंरे गओ, पर उसकै उसमै पत्तौ के सिबा कुछ ना मिलो। तब बानै पेड़ सै कैई, “तैमै फिर कबी फल ना लगैं!” और उसई बखत अंजीर को बौ पेड़ सूक गओ।
धियान सै रैहईओ ऐंसो ना होए कै कोई बी परमेसर की किरपा सै छुट जाय, और कोई करई जड़ फटकै तुमरे ताँई मुसीबत लाय और जिसकी बजै सै भौस्से लोग अपबित्तर हो जावै हैं।
पथरीली जमीन मै गिरे भए बीज बे लोग हैं, जो बचन सुनतेई बाकै खुसी सै मानै हैं, पर जड़ ना पकड़ै हैं, बे कुछई टैम तक बिसवास करैं हैं और मुसीबत के टैम मै बे बहक जावै हैं।
बे मसी बिरोदी हमरे बीच मैई सै लिकरकै गए हैं, कैसेकै बे हमरे अपने ना हे, अगर बे हमरे अपने होते, तौ बे हमरेई संग रैहते। पर बे चले गए, जिस्सै जौ साप-साप पतो लगै है, कै उनमै सै कोई बी हमरो अपनो ना हो।
अगर मैं आदमिऔ और सुरगदूतौं की भासा बोलौं और लोगौ के ताँई मेरे दिल मै पियार ना है तौ मैं एक टन टन करती भई पीतर की घन्टी और छन छन की अबाज कन्नै बारे छन्छना के हाँई हौं।
जब मैं उनके संग हो, तौ मैंनै तेरे बा नाम सै जो तैनै मैंकै दओ उनकै बचाकै रक्खो और रक्छा करी है, बामै सै कोई नास ना होओ, सिरप बाई को जिसको नास होनो पक्को हो। इसताँई कै पबित्तर सास्तर की बात पूरी हो।
फिर ईसु नै उनकै एक और दासतान सुनाई कै, “सुरग को राज खट्टे चून के जैसो है, जो किसी बईयर नै लेकै तीन पसेरी चून मै मिला दओ, और होते-होते बौ सबई खट्टो चून हो गओ।”
और जो अच्छी जमीन मै बोए गए, जे बे लोग हैं, जो परमेसर को बचन सुनै हैं और उसकै मानै हैं। और बे अच्छे फल लामै हैं, कोई तीस गुना, कोई साठ गुना, कोई सौ गुना।”
अगर कोई मैं मै ना बनो रैहबै है, तौ बौ बा डुग्गी के हाँई फैंक दओ जावै है, जो सूक जावै है, और आदमी बाकै इखट्टो करकै आग मै जोर देवै हैं और बे जर जावै हैं।
इसताँई परमेसर की दया और बाकी सकताई मै धियान दे। जौ सकताई उसके ताँई है जो गिरे हैं, पर तुम बाकी दया मै बने रैहऔ, तौ तुमरे ऊपर दया होगी। ना तौ तुम बी पेड़ सै काट फैंके जाऔगे।