“मैं तेरे काम, तेरी मैहनत और तेरे धीरज कै जानौ हौं और जौ बी जानौ हौं कै तू दुसट लोगौ की सैह ना सकतो, और जो अपने आपकै भेजे भए चेला कैबै हैं, पर हैं ना, तैनै बे परखे और झूँटे पाए हैं।
फिर ईसु नै उनसै कैई, चौकस रैहऔ, कै का सुनौ हौ? जिस नाप सै तुम नापौ हौ उसई नाप सै तुमरे ताँई बी नापो जागो, और सच पूँछौ तौ तुमरे संग उस्सै बी जादा करो जागो।
बे मसी बिरोदी हमरे बीच मैई सै लिकरकै गए हैं, कैसेकै बे हमरे अपने ना हे, अगर बे हमरे अपने होते, तौ बे हमरेई संग रैहते। पर बे चले गए, जिस्सै जौ साप-साप पतो लगै है, कै उनमै सै कोई बी हमरो अपनो ना हो।
कैसेकै ऐंसो दिन आगो जब लोग सई सिक्छा कै सुन्नोई ना चाँहंगे, पर बे अपनी इच्छा के हिसाब सै ऐंसे सिकानै बारे लोगौ कै लांगे, जो उनकै बेई बात बताऐ जो उनकै अच्छी लगै हैं।
इसताँई चौकस रैहऔ, कै तुम किस रीती सै सुनौ हौ, कैसेकै जिसके धौंरे कुछ है, उसई कै और दओ जागो और जिसके धौंरे कुछ ना है, बासै बौ बी ले लओ जागो, जिसकै बौ अपनो समजै है।”