संग-संग हमरे ताँई जा दुनिया को अब्बा बी है जो सजा देवै है और हम तब्बी बाकी इज्जत करै हैं। तौ हमरो आत्मिक अब्बा परमेसर के हक मै रैहनो और बी जादा अच्छो ना है? बासै हमकै जिन्दगी मिली है।
कैसेकै बे उस धारमिकता कै ना जानै हे जो परमेसर सै मिलै है मगर बे अपनी धारमिकता कै पक्को कन्नै मै लगे रैहबैं हैं, इसताँई उनौनै परमेसर की धारमिकता ना अपनाई।