और तुम सिओन के पहाड़ के धौंरे और जिन्दे परमेसर के सैहर मै आए हौ जो सुरग को ऐरूसलेम है बाके धौंरे जानै कितने हजारौं सुरगदूत खुसी मनानै के ताँई इखट्टे होवै हैं।
कैसेकै हम जौ जानै हैं कै जौ हमरो सरीर एक तम्बू के हाँई है जिसमै हम जा धरती मै रैहबैं हैं, और जब जा तम्बू कै गिरा दओ जागो तौ, परमेसर की ओर सै हमकै सुरग मै ऐंसो घर मिलैगो जो कबी खतम ना होगो, और जिसकै किसी आदमी नै ना बनाओ होगो।
जो राज हमकै मिलो है बाकै हलाओ ना जा सकै है, इसताँई हमकै बा किरपा कै अपने हात सै ना जान देनो है जिसकी बजै सै हम भक्ति और डर के संग परमेसर की आराधना करैं जिस्सै बौ खुस होवै है।
पर जे लोग एक अच्छे देस मै जानै की सोचै हैं यानी सुरग मै। उनके बारे मै परमेसर जौ कैने मै ना सरमाबै है कै मैं उनको परमेसर हौं। कैसेकै बानै उनके ताँई एक सैहर बनाओ है।