ओ भईयौ और बहनौ, अगर मैं अब तक खतना को परचार करौ हौं, तौ लोग मैंकै काए सता रए हैं? और अगर जौ सच होतो, तौ मसी के कुरूस के बारे मै जो मैं सिकाबौ हौं बासै कोई परेसानी ना होती।
इसताँई अगर हमरे बुरे काम परमेसर के अच्छे काम कै दिखामै हैं, तौ हम का करैं? मैं आदमी की सोच के हिसाब सै कैरओ हौं कै, का परमेसर को हमरे ऊपर घुस्सा कन्नो, गलत है?