14 ऐंसे तईयार रौह, सच्चाई सै अपनी कमर कस लो और धारमिकता को कबज कै पैहरलो।
पर हम दिन के हैं और हमकै खुद के ऊपर काबू रखनो चँईऐ। और बिसवास और पियार को कबज पैहरकै और मुक्ति की उमीद को टोप कै पैहरलो।
“करम कन्नै के ताँई हमेसा तईयार रैहऔ। और अपने दिया पजारकै रक्खौ।
इसताँई तुम चौकन्ने और खुद के ऊपर काबू रक्खौ और बा किरपा की ओर पूरी उमीद रक्खौ, जो ईसु मसी के परकट होनै के बखत तुमकै मिलनै बारी है।
और अपनी सच्चाई को सन्देसो और परमेसर की सकति सै धारमिकता के हतियारौं कै खाने हात और बाँऐ हात मै लेए भए;
जहाँ जोती है, बहाँ हर तरै की भलाई, धारमिकता और सच्चाई पैदा होवै है।
और मैंकै इस दरसन मै घोड़ा और उनके ऊपर सबार सिपाई ऐंसे दिखाई दए, सिपाई आग जैसे लाल, धमरकान्त जैसे लीले, गन्धक जैसे पेरे, कबज पैहरे भए हे। घोड़ौ की खोपड़ी सेरौ की खोपड़ी जैसी हीं और उनके मौह सै आग, धुआँ और गन्धक लिकर रई ही।
और उनके सीना ऐंसे हे जैसे लोहो के कबज हौं। उनके पंख की अबाज ऐंसी ही जैसे लड़ाई मै भौत से घोड़ा बारे रथ भाजै हैं।
रात लगभग बीतई चुकी है, दिन लिकर नैई बारो है, इसताँई हम उन कामौ कै छोड़ दैं जो इन्धेरे के हैं। आऔ हम उज्जेरे के औजारौं कै ले लैं।
इसताँई परमेसर के सिगरे हतियारौं कै बांध लो कै जब दुसट को दिन आगो तौ तुम आखरी तक मुकाबलो कन्नै के बाद मजबूती सै खड़े रैह सकौ।