जितनी उसनै अपनी बड़ाई बतकाँई और सुख और खुसी मनाई है, उतनोई उसकै दरद और दुख देईओ, कैसेकै बौ अपने मन मै कैबै है, मैं रानी के जैसी सिंगासन मै बैठी हौं, मैं राँड़ ना हौं और कबी दुखी ना हौंगो।
जे बेकार की घमंड की बात करकै और सरीर की बुरी इच्छा और लुचपन की बातौं मै उनकै अपनी ओर खैंच लेबै हैं, जो गलत सिक्छा मै हैं उन लोगौ सै अबी-अबी बचकै लिकरे हैं।
ऐंसे लोग बिहा कन्नै के ताँई मनैह करै हैं और खानै पीनै बारी चीजौ कै बी मनैह करै हैं। जिनकै परमेसर नै बनार खाओ है। पर जिन बिसवासी लोगौ कै सच्चाई को पतो है, तौ बे बा खानै कै धन्नबाद देकै खाँय।
कैसेकै सब जातिऔं नै उसके बैबिचार की इच्छा की दारू पीई है। और धरती के राजाऔं नै उसके संग बैबिचार करो है और धरती के ब्यापारी उसकी धन-दौलत की सकति सै और जादा सेट हो गए हैं।”