का मैं आदमी की ओर सै अपनी बड़ाई चाँहौ हौं या परमेसर की? का मैं आदमिऔ कै खुस कन्नै के ताँई लगो रैहबौं हौं? अगर मैं अब तक लोगौ कै खुस करतो रैहतो तौ मैं मसी को सेवक ना होतो।
ओ भईयौ और बहनौ, तुम याद रक्खौ कै हमनै तुमरे बीच मै रात-दिन मैहनत को काम इसताँई करो है, जिस्सै कै हम परमेसर की अच्छी खबर कै सुनाते भए किसी के ऊपर बोज ना बनै।
मैं तुमसै दूर होते भए बी तुमकै जे सब बात लिख रओ हौं कै जब मैं तुमरे धौंरे आंगो तौ मैंकै परभु के देए भए हक सै तुमरे संग कठोर बरताब कन्नो ना पड़ै। कैसेकै जौ हक मैंकै परभु नै देओ है बौ बिगाड़नै के ताँई ना पर तुमकै बढ़ानै के ताँई देओ है।