सिरप बौई अमर है जो हमेसा की जोती मै रैहबै है, जिसकै किसी आदमी नै ना तौ कबी देखो है और नाई देख सकै है। बाकी इज्जत और सकति युगौं-युगौं तक रैह। ऐंसोई होए।
अगर कोई कैबै है कै, “मैं परमेसर सै पियार करौ हौं” और बौ अपने भईया सै नफरत करै, तौ बौ झूँटो है। कैसेकै जो अपने भईया सै पियार ना करै है, जिसकै बौ देखै है, तौ बा परमेसर कै जिसकै बानै कबी देखोई ना है, पियार कैसे कर सकै है?
जो परमेसर की आगियाँऔ कै मानै है, बौ परमेसर मै बनो रैहबै है और परमेसर बामै, और परमेसर नै हमकै पबित्तर आत्मा दई है, बाके दुआरा हम जानै हैं कै परमेसर हम्मै रैहबै है।
मगर हम परमेसर की ओर सै हैं इसताँई जो परमेसर कै जानै है, बौ हमरी सुनै है। मगर जो परमेसर की ओर सै ना है, बौ हमरी ना सुनै है। इस तरै सै हम सच्चाई की आत्मा कै और लोगौ कै भटकानै बारी आत्मा कै पैचान सकै हैं।
बिसवास की बजै सैई मूसा मिसर देस छोड़कै चलो गओ और बानै राजा के घुस्सा की परवा ना करी बलकन बौ अग्गे बढ़तो गओ, मानौ जैसे कै बौ परमेसर कै देख रओ होए, जो अनदेखो है।
इसताँई हम बा पियार कै जानै हैं और बाके ऊपर भरोसो रक्खैं हैं, जो परमेसर सै हमकै मिलै है। परमेसर पियार है, और जो पियार मै बनो रैहबै है, बौ परमेसर मै बनो रैहबै है और परमेसर बामै।