31 मुरख, बिश्वासघाती, निर्दयी, और झन्नी होत हएं।
31 बेअकली, भरोसो तोड़न बारे, प्यार ना करन बारे और दया ना करन बारे हुईगै हैं।
कोइके प्रेम नाए करन बारे, दुस्रेके माफी नाए देन बारे, दोष लगान बारे, अपन इच्छाके नियत्रण नाए करन बारे, हिंसा करन बारे, जो अच्छे हएं उनके हेल्हा करन बारे,
अच्छो बात बुझन बारो नेहात्तओ कोइ नैयाँ; कोइ फिर परमेश्वरके जानन नाए चाँहत हए।
बा कही, “का तुम हबए फिर नाए समझ पाएहओ?
बा बिनसे कही, “का तुम हबए फिर नाए समझ पाएहओ? तुमके जा सम्झन पणैगो, कि जो खानु हम खातहएं बो हमके परमेश्वरके अग्गु अपबित्र नाए बनातहए।