18 कोइ-कोइ काँटोके समान हएं जौनमे बीज पणे। जब बे परमेश्वरको बचन सुनत हएं,
18 जो झाड़ी मैं बोए गै, जे बे हैं जो बचन कै सुनीं,
काँटोको बीचमे पणन बारे बेही हएं, जौन बचन सुनत हएं, पर पिच्छु जा जीबनको चिन्ता, धन, सुखमे पणके बढनाए पातहएं, और बे फरा नाए फरए पातहएं।
काँटोमे बुए भए बिज बेही हएं, जौन बचन सुनत हएं, पर जीबनको आवश्यकताके चिन्ता करत हएं, धनी बननके ताहीं और दुस्रो चीज पानके लालचमे बे मुरख बन्जात हएं तभीमारे परमेश्वरको बचन बे भुल जात हएं और अपन जीबन उइसे नाए जीइत हएं जैसे परमेश्वर चाँहत हए।
कुइ बीज काँटोनके बीचमे पणे। पेण निकरे और सँगए काँटो फिर बढे, जहेमारे पेणमे फरा नाएलागे।
पर परमेश्वरको बचनको जर नाएलागके, बे थोरीए देरतक बिश्वास करत हएं। जब परमेश्वरको बचनके कारण सतावट आत हए, तओ बे तुरन्त बिश्वास करन छोडदेत हएं।
और जा धर्तीमे जीबनके चिन्ता, धनको लोभ, और औ चीजको लालच बिनके जीबनमे आएके बे परमेश्वरको बचन भुल जातहएं, और बे परमेश्वरको बचन अनुसार चल नाए पातहएं।