41 जा सुनके दशौ चेला याकूब और यूहन्नासे गुस्साइगए।
41 जौ सुनकै बे दसौ चेला याकूब और यूहन्ना से खिसियान लगे।
स्वार्थ और घमण्डके ताहीं कुछ मत् करओ, पर नम्र हुइके एक-दुस्रेके अपनेसे जद्धा जरुरी समझओ।
एकए परिवारके सदस्यके रुपमे एकदुस्रेसे प्रेम करओ; अपनेसे जद्धा औरेनके आदर करओ।
का तुम जा सम्झत हओ, कि पबित्र-शास्त्र अइसो कहात हए, “हमरे भितर परमेश्वरको धरो भओ आत्माके ताहीं बा बहुत बडो इच्छासे चाहना करत हए?”
तओ उनमे जा बातचित फिरसे होन लागो, कि हम मैसे कौनके बडो मानो जएहए?
जा सुनके दसौ जनै बे दुई भइयासे दिक्काइगए।
तओ येशू बिनके अपने ठिन बुलाएके कही, “तुम जानत हओ, कि जौन आदमी जा दुनियामे सासक माने जातहएं, बे अपने अधिकार अपने अधीनमे भए आदमीनके उपर अधिकार जमानके ताहीं करत हएं। बिनके अगुवा अपनी बात मनानके ताहीं बिनके उपर अधिकारके चलात हएं।
येशू बिनसे कही, “गैर-यहूदीनके राजा बिनके उपर सासन करत हएं, और बिनके उपर अधिकार चलान बारेनसे ‘उपकारी’ कहोजात हए।