31 जहेमारे तुम चिन्ता करके जा मत् कहाबओ कि का पिहएं, का खएहएं और का पैँधंगे?
31 “तौ चिंता मत करियो: ‘कि हम का खांगे? या का पींगे? और या का पहनंगे?’
परमेश्वरके तुमर सबए चिन्ता फिक्री बताओ, काहेकी बा तुमर वास्ता करत हए।
का खएहओं, का पिहओं करके तुम खोजिमे मत् बैठओ, और चिन्ता फिर मत् करओ।
तओ येशू जबाफ दइके कही, “पबित्र-शास्त्रमे लिखो हए, ‘आदमी रोटीसे इकल्लो नाए, पर बो परमेश्वरको कहो भओ बचन मानके जीवित रएहए।’”
चेला बासे कहीं, “इतनो बणी भिडके जा एकन्त ठिहामे खानु खबान हम कहाँसे इत्तो रोटी पएहएं?”
जहेमारे मए तुमसे कहात हओं, अपने प्राणके ताहीं जा चिन्ता मत् करओ, कि हम का खएहएं, और का पिमंगे, और नए अपने शरीरके ताहीं कि का लगामंगे। का प्राण भोजनसे, और शरीर लत्तासे जद्धा मुल्यवान नाए हए?
तुम मैसे कौन हए जौन चिन्ता करके अपनी आयु थोरी लम्मी बनाए सकत हए?
तओ प्रभु येशू बोके जबाफ दइके कही, “मार्था, हे मार्था; तए बहुत बातके बारेमे चिन्ता करत हए, और घबणीयात हए।
जब बे तुमके यहूदी सभाघर, सासक और अधिकारीके अग्गु लामंगे, तओ का कहामंगे और का बोलंगे करके चिन्ता मत् करीयओ।
फिर येशू अपन चेलनसे कही, “जहेमारे मए तुमसे कहात हओं, अपन प्राणके ताहीं का खामओं और शरीरके ताहीं का पैंधओं करके चिन्ता मत् करओ।
कोइ बातमे चिन्ता मत् करओ, पर सब परिस्थितिमे तुमर निबेदन, प्राथना और बिन्तीद्वारा परमेश्वरके धन्यबाद देओ।