17 जो छत मैं होमैं, बे अपने घर मैं से सामान लेन कै ना उतरैं।
17 छतमे होन बारे अपन घरमे भओ सामान निकारनके तरे नाए उतरएं।
मैं अंधियारे मैं जो कुछ कहथौं, बाकै तुम उजीते मैं कहबौ; और जो कानौ कान सुनथौ, बाकै छत के ऊपर से प्रचार करौ।
दुसरे दिन जब बे अपने रहा मैं रहैं और याफा सहर के झोने पुगे, तौ दुपारी मैं पतरस छत ऊपर प्रार्थना करन चढ़ो।
इसलै जो कछु तुम अंधियारे मैं कहे हौ, बौ उजिते मैं सुनो जागो; और जो तुम बंद कमरा मैं कानाफूसी को प्रचार करे हौ, बौ मकान कि छत से चिल्लाओ जागो।”
जब बे भीड़ के बजह से बाकै भीतर ना ला पाईं तौ बे बाकै छप्पर मैं लै जाएकै छप्पर हटाएकै, बाकै खटिया समेत बीच मैं ईसु के सामने उतार दईं।
“तभई मैं तुमसे कहथौं: जिंदो रहन के ताहीं, चिंता मत करीये कि हम खांगे, और का पीमंगे, और ना अपने सरीर के ताहीं कि का पहनंगे, सबन के बाद, का ज्यान रोटी से जद्धे जरूरी नाय है? और सरीर लत्तन से बढ़कै नाय है?
“तौ जो यहूदिया मैं होमैं बे पहाड़न मैं भाज जामैं।
और जो खेत मैं होमैं, बौ अपनो लत्ता लेन कै पच्छू ना लौटै।