40 मूर्ख! परमेस्वर जो बाहर को हिस्सा बनाई, का बौ भीतर को हिस्सा ना बनाई?
40 मुरख आदमीयओ, जौन बाहेरको भाग बनाइ, का बहे भितर फिर नाए बनाइ?
लेकिन परमेस्वर बासे कही, तैं मूर्ख है! जहे रात तेरी जान तोसे लै लई जागी; तौ जो कछु तैं अपने आप इखट्टो करो है, बौ कौन को होगो?”
अरे बेअकली! जो कछु तू बोथै, बहे दानो जबले नाय मरै जिंदो नाय होथै।
अंधे फरीसी! पहले कटोरा और थरिया कै भीतर से माँज कि बे बहार सेऊ साफ होमैं।
फिर जबकी हमरे इंसानी दऊवा भी हमारी सजा करत रहैं और हम उनको आदर करे, तौ का आत्मन के दऊवा के औरौ संग नाय रहमैं जोसे हम जिंदे रहमैं।
तौ ईसु उनसे कही, “तुम कितने मूर्ख हौ, भविस्यवक्ता कि हर बात के ऊपर मन मैं बिस्वास करन मैं कितने धीमे हौ!
अरे बेअकलियौ और अंधौ, कौन बड़ो है, सोनो या बौ मंदिर जोसे सोनो पवित्र होथै?