जब ईसु पृथ्वी मैं सरीर की अवस्था मैं रहै, बौ अपनी जिंदगी मैं परमेस्वर से प्रार्थना और बिनती आँसु बहाएकै करी, जो बाकै मौत से बचाए सकत रहै। लेकिन बौ विनम्र और समर्पित रहै, तभई परमेस्वर बाकै सुनी।
ऐसियै आत्मौ हमरी कमजोरी मैं मदत करथै, काहैकि हम जानतै ना हैं, कि प्रार्थना कैसे करकै करनो चाहिए; आत्मा खुदै ऐसे आँह भर-भरकै जो बखान करन से परे है, हमरे ताहीं मिन्नत करथै।