9 रजा दाउद सेहो ओहिनङे कहैछै, “ओइसबके भोज-भात ओकरेसबके लेल फन्हा आ जाल बने, ओकरेसबके ठेस लागैबला आ दन्डके कारन बने।
कथिलेकी स्वरगदुतसबसे घोसना करल सन्देस सत छेलै आ जे कोइ ओइके पालन नै करल्कै या नै टेरल्कै, सेसब दन्ड पाबल्कै।
महज परमेस्वर ओइ धनिक लोकके कहल्कै, ‘हे मुरुख लोक, आइए रातमे तोहर देहसे तोहर परान तोरा छोइरके चैलजेतौ, अतहेक चिजसब तु अपनलेल जे जमा करनेचिही, बिहान यीसब ककर हेतौ?’”
तब येसु घुइमके पतरुसके हपारल्कै, “ऐ सैतान, हमरसे दुर चैल जो, तु हमर लेल बाधाके कारन चिही। कथिलेत तु परमेस्वरके बातमे नै, महज लोकसबके बातमे धियान दैचिही।”
ओहैसे अपनासब एक-दोसरके दोस नै लगा। बरु अपनासब आपन भाइके ठेस लागैबला या बाधा दैबला काम कहियो नै करबै कैहके अठोट कर।