8 दोसर स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त आइग लागल पहार जखा देखापरैबला चिज समुन्दरमे खस्लै। तब समुन्दरके एक तिहाइ भाग लहु भेलै।
हम तोरासबके साँचोके कहैचियौ, यदी आपन मनमे कोनो संखा नै करतै महज आपनेसे कहल बात पुरा हेबे कैहके बिस्बास कैरके यि पहाड़के ‘अतसे उखरके समुन्दरमे जो’ कहतै त ओकरलेल तैहनङ हेतै।
पहिल्का स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त लहुसङे मिझराइल पथल आ आइग पिरथिबीमे बरसलै। जकर कारन पिरथिबीके एक तिहाइ भाग, गाछसबके एक तिहाइ भाग आ सब हरियर घास-पतार डैहगेलै।
उसब परमेस्वरके बचन सुनाबैतक पानी नै परे कैहके ओकरासबसङे अकास बन्द करैबला सक्तीछै। ओकरासबसङे पानीके भबसबके लहु आ इक्छा लागल बखत पिरथिबीमे हर तरहके बिपत आनैबला सक्तीछै।
उ चारटा स्वरगदुतसबके छोइरदेल्कै, पुरे सन्सारके एक तिहाइ लोकसब वह्या बरिस, वह्या महिना, वह्या दिन आ वह्या घरीके लेल मारैले तयार कैरके राखने छेलै।
ओइसबके मुहसे आइग, धुवाँ आ गन्धकके तिनटा बिपत निकलैत रहलै। तै बिपतसे एक तिहाइ लोकसबके जानसे मारल्कै।
ओकर नङरिसे स्वरगके एक तिहाइ तरासबके बरहाइरके पिरथिबीमे फेक देल्कै। तब जलमेलागल बच्चा जलमैत मातर खाइके लेल जलम दैबाली जनीके अगा उ अजेगर ठारभेल छेलै।