7 पहिल्का स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त लहुसङे मिझराइल पथल आ आइग पिरथिबीमे बरसलै। जकर कारन पिरथिबीके एक तिहाइ भाग, गाछसबके एक तिहाइ भाग आ सब हरियर घास-पतार डैहगेलै।
ओइसबके घास या गाछसबके कोनो हानी नै कर महज कपारमे परमेस्वरके छाप नै लागल लोकसबके मातरे नोक्सानी करिहे कैहके आदेस देल्कै।
ओइसबके मुहसे आइग, धुवाँ आ गन्धकके तिनटा बिपत निकलैत रहलै। तै बिपतसे एक तिहाइ लोकसबके जानसे मारल्कै।
उ चारटा स्वरगदुतसबके छोइरदेल्कै, पुरे सन्सारके एक तिहाइ लोकसब वह्या बरिस, वह्या महिना, वह्या दिन आ वह्या घरीके लेल मारैले तयार कैरके राखने छेलै।
अकाससे चालिस-चालिस किलोके पथल लोकसब उपर बरसैले लाग्लै आ लोकसब पथलके बिपतीके कारन परमेस्वरके सरापे लाग्लै कथिलेत उ बिपत एकदम भयानक छेलै।
तकरबाद पहिल्का स्वरगदुत आपन बाटी पिरथिबीमे झाइक देल्कै। तैखातिर उ जानबरके छाप लागल आ मुरतिके पुजा करैबला लोकसबके देहमे घिनलागैबला आ एकदम दुखाइबला घाँह-घौससब निकल्लै।
ओकर नङरिसे स्वरगके एक तिहाइ तरासबके बरहाइरके पिरथिबीमे फेक देल्कै। तब जलमेलागल बच्चा जलमैत मातर खाइके लेल जलम दैबाली जनीके अगा उ अजेगर ठारभेल छेलै।
हम पियर रङके घोरा देखलियै जैमे सबार हैबलाके नाम “मिरतु” छेलै आ पताल ओकर पछा-पछा छेलै। ओकरा तलबार, अकाल, महामारी आ पिरथिबीके जङलिया जानबरके दुवारा पिरथिबी एक चौथाइके नास करैके अधिकार परमेस्वर देल्कै।
कथिलेत पबितर धरमसास्तरमे लिखल छै, “सब मानब जाती घास जखाछै आ ओकर सुन्दरता घासेके फुल जखा हैछै। घास सुइख जाइछै आ फुल झैर जाइछै,
जब टहटह रौद लागैछै तब फुलाके गाछ मुरझा जाइछै। एहैन लोभ लागैबला फुल त झैरजाइछै आ ओकर सोभा हर्याजाइछै। ओहिनङ कैरके कामकाजमे दौर धुप कैरते कैरते धनिक लोकसबके जिबन बित जाइछै।
तकरबाद पिरथिबीमे, समुन्दरमे आ कोनो गाछ-बिरिछमे हबा नै लागे कैहके चारटा स्वरगदुतसब पिरथिबीके चारु कातके हबाके रोइकके पिरथिबीके चारु कोनमे ठारभेल हम देखलियै।