13 हम देखलियै, अकास उपरमे एकटा गरुर जोरसे अनङ कहैत सुनलियै, “पिरथिबीमे रहैबलासबके धिक्कार! धिक्कार! धिक्कार! कथिलेकी औरो बाकी रहल तिन स्वरगदुतसब तुरही फुक्तै त पिरथिबीमे परैबला बिपत केहेन हेतै?”
दोसर बिपत बित्लै, “देख, तेसर बिपत जल्दिए एतौ।”
पहिल्का बिपत समापत भेलै। दुइटा बिपत औरो आबैले बाकिछै।
तब हम बिच अकासमे उरैत दोसर स्वरगदुतके देखलियै। पिरथिबीमे रहैबला हरेक जाती, कुल, भसा आ देसके लोकसबके सुनाबैले ओकरसङे अनन्त सुसमाचार छेलै।
तब हम एकटा स्वरगदुतके सुरुजमे ठारभेल देखलियै। उ अकासके बिचमे उरैबला सब चिरै-चुरगुनसबके बरका जोरसे एहैन कहल्कै, “या, परमेस्वरके बरका भोजमे एकसाथ जम्मा हो।
तकरबाद पाचम स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त हम एकटा तरा अकाससे पिरथिबीमे खसल देखलियै। ओइ तराके नरकके कुजी देलगेलै।
स्वरगदुतसब त परमेस्वरके सेबा करैबला आत्मासब चियै। परमेस्वर ओकरासबके मुक्ती पाबैबला लोकसबके सहायता करैके लेल पठाइनेछै।
वह्या एक लाख चौबालिस हजार लोकसब सिंहासनके अगा आ उ चार जिबित परानी आ धरमगुरुसबके अगा एकटा लया गित गाबैछेलै। ओइसबके पिरथिबीसे मोल तिरके छोरेने छेलै। ओइसबके बाहेक कोइ नै उ गित सिखैले सकैछेलै।
पिरथिबीके सब जातीसबके जाँचैले अइ सन्सारमे आबैबला दुख कस्टसे हम तोरा बचाइबौ, कथिलेकी तुसब बहुत बात सैहके हमर आग्यापालन करनेचिही।
तकरबाद परमेस्वरके अगा ठार रहैबला सात स्वरगदुतसबके देखलियै। परमेस्वर ओकरासबके एक-एकटा तुरही देल्कै।
तै खातिर स्वरग आ ओते रहैबलासब आनन्द मना! महज पिरथिबी आ समुन्दरमे कतहेक दुख हेतौ! कथिलेत तोरासबके बिचमे सैतान करोधके साथ उतैरके एलछौ, आ ओकर समय ओराइले लागलछै से ओकरा मालुम छै।”