6 उ चार जिबित परानीसबके बिचसे एकटा एहैन आबाज सुनलियै, “एक दिनके बोन एक किलो गहुम आ एक दिनके बोन तिन किलो जौ हैछै, महज जैतुनके तेल आ अङगुरके मधके नोकसानी नै करिहे।”
ओइसबके घास या गाछसबके कोनो हानी नै कर महज कपारमे परमेस्वरके छाप नै लागल लोकसबके मातरे नोक्सानी करिहे कैहके आदेस देल्कै।
सिंहासनके अगा समुन्दर जखा देखाइबला चिज छेलै। उ चिज सिसा जखा सफा देखाइछेलै। आँखे आँख भेल चारटा जिबित परानी सिंहासनके अगा आ पछा कैरके चारुकातसे घेरनेछेलै।
“हमसब आपन परमेस्वरके सेबकसबके कपारमे छाप नै लगाबैतक पिरथिबी या समुन्दर या गाछ-बिरिछके बिगार नै कर।”
कथिलेत जातीके बिरोधमे जाती आ राजके बिरोधमे राज उठतै आ बहुतो ठामसबमे अकाल आ भुमकौन एतै।
उ चारु परानीके छ-छटा डेन छेलै आ डेनके बाहर आ भितरमे आँखसे झापल छेलै। दिनरात उसब नै थाकैत पिराइत अनङ गाबैत रहैछै। “सरबसक्तिमान परमेस्वर पबितर, पबितर, पबितर चियै। उ छेलै, उ छै आ उ रहतै।”