2 उ लदी सहरके मुल रस्ताके बिचसे बहैछेलै। उ लदीके पखामे एकटा जिबनके गाछ छेलै, जे हरेक महिना बारह किसिमके फल फराइछेलै। उ गाछके पतासब जाती-जातीके लोकसबके निक करैबला दबाइ जखा छेलै।
तकरबाद स्वरगदुत हमरा इस्फटिक जखा चमकदार जिबनके पानीके लदी देखल्कै। उ लदी परमेस्वर आ थुमाके सिंहासनसे निकैलके,
हमसब पापके लेल मैरके धारमिकताके लेल जियैले सकि कैहके खिरिस्ट अपनासबके पापसबके खातिर आपन देहमे पाप बोइकके कुरूसमे मरलै। ओकर चोटसबसे तुसब निक भेलचिही।
जकरा कान छै, से पबितर आत्मा मन्डलीसबके कथी कहैछै से बात सुने। जे जित्तै ओकरा परमेस्वरके स्वरगलोकमे भेल जिबन दैबला गाछिके फल खाइले देबै।’”
उसब धैनके चियै, जे आपन बस्तर धोइबके साफ करैछै। उसब जिबनके गाछके फल खाइले आ ओइ सहरके देहरीसे भितर जाइले पाबतै।
जे कोइ अइ किताबमे लिखल अगमबानीके बचनसे किछो घटेतै त, परमेस्वर जिबनके गाछ आ पबितर सहरसे पाबैबला भाग ओकरसे छिनके लजेतै।
सन्सारके सबलोक ओकर इजोतमे चल्तै आ पिरथिबीके रजासब आपन महिमा ओते आन्तै।
ओते बारह केबार बारह मोतिके छेलै। हरेक केबार एक-एक मोतिसे बनल छेलै। ओइ सहरके सरक चमकदार सिसा जखा निखुर सोनाके छेलै।
“परमपरभुके आत्मा हमर उपरछै, गरिबसबके सुसमाचार सुनाइले उ हमरा अभिसेक कैरके पठाइने छै। बन्धनमे परलसबके छुटकाराके लेल, अन्हरासबके आँख देखैके लेल, अत्याचारमे परलाहासबके सोतन्तर करैके लेल,