हे स्वरगमे भेल्हासब, उ सहर नास भेलासे खुस हो। हे परमेस्वरके पबितर जनसब, परेरितसब आ अगमबक्तासब सबकोइ आनन्द मना! कथिलेत तोरासबके सताबैके कारन परमेस्वर ओकर नियाय करने छै।
जे लोकसब जानबर या ओकर मुरतिके पुजा करतै या ओकर नामके चेन्हा लगाइतै, तकरासबके दुख दैबला आइगके धुवाँ जुगो-जुग तक उपर उठैत रहतै आ ओकरा रात दिन कहियो नै चैन भेटतै।”
उ जतहेक मान-सम्मान आ भोग-बिलास करने छै, ओतबेहेक ओकरा दुख आ सोक दहै। कथिलेत उ मनमने कहैछै, ‘हम त महरानी चियै, हम बिधुवा नै चियै, हमरा कहियो सोक करैले नै परतै।’
देख, हम ओकरा बिमारसे बिछोनामे थला परादेबै आ ओकरसङे बेबिचार करैबलासब एकदम दुख आ कस्ट पाबतै। उसब पस्चाताप कैरके ओहन दुस्ट काम नै छोरतै त, हम ओइसबके बरका सजाय देबै।