22 ओकर सिक्छा सुइनके ओतेका लोकसब छक्क परलै, कथिलेत उ धरमगुरुसब जखा नै महज अधिकारसे भरल लोक जखा सिखाइछेलै।
उ आपन गाम नासरतमे आइबके ओतेका सभाघरमे लोकसबके सिक्छा देबे लाग्लै। लोकसब ओकर बात सुइनके आस्चरज मानल्कै आ कहल्कै, “अकरा एहेन बुइध आ अजगुतके काम करैबला सक्ती कतेसे एलै?
पहरेदारसब जबाफ देल्कै, “उ लोक जखा त अखुनतक कोनो लोक नै बोल्नेछै!”
ओकरासब येसुके सिक्छा सुइनके छक्के परलै, कथिलेत ओकर बचन अधिकारसे भरल छेलै।
हमसब सब किसिमके घोसैरके करैबला सरमके कामसब त्यागनेचियै। हमसब धुर्त काम नै करैचियै नै त परमेस्वरके बचनके गलत हिसाबसे परयोग करैचियै। महज परमेस्वरके सामने हमसब खिरिस्टके बारेमे सत बात मातरे बोलैचियै, ताकि कोनो लोकसबके मनमे हमसब छल करैचियै कैहके दोस लगाइले नै पाबे।
महज स्तिफनसके बोलैत खिना पबितर आत्मा अतहेक निक बुइध देल्कै कि उसब ओकर सामने नै टिके सक्लै।
कथिलेत हम तोरासबके एहेन सब्द आ बुधि देबौ, कि तोहर बिरोधीसब तोरासबके बात सुइनके एकोटाके जबाब दैले नै सक्तौ, ओकरौरके मुहमे तला लाइग जेतौ।
ओहै बखत सभाघरमे एकटा भुत लागल लोक छेलै। उ जोरसे चिच्याके कहल्कै,
ओकर बिचार आ उतर दैत सुइनके ओइ ठामके सब लोकसब आस्चरजमे परलै।